समा चकेवा पर्व: भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक
समा चकेवा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह पर्व समृद्धि, खुशहाली और शांति की कामना करता है। इस दिन, लोग स्नान, पूजा-अर्चना और दान-पुण्य करते हैं। समा चकेवा का इतिहास बहुत पुराना है। कहा जाता है कि यह पर्व भगवान विष्णु के अवतार भगवान राम के जन्म के अवसर पर मनाया जाता है। भगवान राम के जन्म के बाद, उनकी मां कौशल्या ने उन्हें स्नान कराया और फिर उन्हें पूजा-अर्चना के बाद दान-पुण्य दिया। इसी दिन से, समा चकेवा पर्व मनाया जाने लगा। समा चकेवा का आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। इस दिन, लोग स्नान करके अपने शरीर और मन को शुद्ध करते हैं। पूजा-अर्चना करके, वे भगवान से आशीर्वाद मांगते हैं। दान-पुण्य करके, वे दूसरों की मदद करते हैं। समा चकेवा का सामाजिक महत्व भी बहुत अधिक है। इस दिन, लोग एक-दूसरे के घर जाकर मिलते हैं और उन्हें बधाई देते हैं। इस तरह, यह पर्व लोगों के बीच प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देता है। समा चकेवा की परंपराएं समा चकेवा के दिन, लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं। फिर, वे मंदिर जाकर भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। पूजा