भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) विश्व की सबसे बड़ी कृषि अनुसंधान प्रणालियों में से एक है। इसकी वैज्ञानिक उपलब्धियाँ, तकनीकी नवाचार और कृषि विस्तार सेवाएँ न केवल भारत बल्कि विश्व स्तर पर सराही जाती हैं।
परंतु इस संस्थान की सफलता के पीछे एक अदृश्य स्तंभ है – प्रशासनिक कैडर, जो वैज्ञानिक कार्यों को सुचारु रूप से संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
दुर्भाग्य से, यह प्रशासनिक कैडर लंबे समय से उपेक्षा का शिकार रहा है। वर्ष 1997 में केंद्र सरकार ने ICAR में प्रशासनिक कैडर के एकीकरण (unification) का निर्णय लिया था। इसका उद्देश्य था – सेवा शर्तों में समानता, कैरियर उन्नति के उचित अवसर और सभी संस्थानों में पारदर्शी पदोन्नति प्रक्रिया।
लेकिन यह निर्णय आंशिक रूप से ही लागू हुआ। परिणामस्वरूप आज भी सहायक (Assistant) और सहायक प्रशासनिक अधिकारी (AAO) गहरी ठहराव (stagnation) और असमानता का सामना कर रहे हैं।
1997 का अधूरा वादा: कैडर एकीकरण का निर्णय
1997 में केंद्र सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार ICAR में प्रशासनिक कैडर का पूर्ण एकीकरण होना था।
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भर्ती प्रक्रिया को केंद्रीकृत किया गया।
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परंतु वरिष्ठता सूची (seniority list) संस्थान स्तर पर ही बनाई जाती रही।
इस आधे-अधूरे क्रियान्वयन के कारण यह स्थिति बनी कि –
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राष्ट्रीय स्तर पर मेरिट से चयनित सहायक अलग-अलग संस्थानों में नियुक्त हुए।
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परंतु जिन संस्थानों में AAO के पद रिक्त नहीं थे, वहाँ सहायक 10–15 वर्षों तक पदोन्नति से वंचित रहे।
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वहीं, जिन संस्थानों में रिक्तियाँ उपलब्ध थीं, वहाँ कुछ सहायकों को 3–4 वर्षों में ही AAO बना दिया गया।
सहायकों की स्थिति: केंद्रीय भर्ती, स्थानीय वरिष्ठता
इससे उत्पन्न परिणाम:
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उच्च रैंक प्राप्त करने वाले कई उम्मीदवार आज भी AAO के पहले प्रमोशन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
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वहीं बाद में नियुक्त हुए उम्मीदवार पहले ही प्रमोशन पाकर आगे बढ़ गए।
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कई मामलों में जूनियर कर्मचारी अपने सीनियर्स से आगे निकल गए।
यह स्थिति कर्मचारियों में निराशा और असंतोष का कारण बनी है।
AAO से AO तक पदोन्नति में ठहराव
स्थिति और गंभीर तब हो जाती है जब AAO से AO तक की पदोन्नति की बात आती है:
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AAO की स्वीकृत संख्या – 467
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AO की स्वीकृत संख्या – 132 (जिसमें से केवल 66 पद पदोन्नति कोटे से उपलब्ध)
परिणाम:
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अधिकांश AAO एक ही ग्रेड में 10–12 साल तक अटके रहते हैं।
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कैरियर उन्नति की कोई ठोस संभावना नहीं रहती।
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DoPT की गाइडलाइन्स के विपरीत, उचित पदोन्नति चैनल उपलब्ध नहीं है।
अन्यायपूर्ण कैरियर मार्ग: जूनियर आगे, सीनियर पीछे
सबसे बड़ा अन्याय यह है कि –
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2012 या उससे पहले भर्ती हुए कई सहायक आज भी पहले प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं।
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वहीं, 2013–14 या उसके बाद भर्ती हुए कर्मचारी AAO और AO तक पहुँच चुके हैं।
यह जूनियर–सीनियर उलटफेर न केवल कर्मचारियों का मनोबल तोड़ता है, बल्कि पूरी संगठनात्मक कार्यकुशलता को प्रभावित करता है।
कैडर समीक्षा: सुधार का स्वर्ण अवसर
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कैडर एकीकरण को पूरी तरह लागू करना।
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पदों की पिरामिड संरचना को संतुलित बनाना।
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कर्मचारियों की ठहराव की समस्या दूर करना।
सुझाव (Recommendations)
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AO पदों की संख्या बढ़ाई जाए
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AAO और AO का अनुपात कम से कम 1:3 हो।
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Non-Functional Upgradation (NFU) लागू हो
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AAO को 8–10 वर्ष की सेवा के बाद टाइम-बाउंड प्रमोशन दिया जाए।
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मध्यवर्ती पद का सृजन
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सीनियर AAO / Dy. AO के पद बनाए जाएँ।
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नियमित कैडर समीक्षा
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DoPT निर्देशानुसार हर 5 साल में समीक्षा अनिवार्य हो।
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कैडर एकीकरण लागू किया जाए
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वरिष्ठता सूची केंद्रीय स्तर पर रखी जाए।
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संस्थान स्तर पर कैरियर ब्लॉक समाप्त किया जाए।
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कर्मचारी प्रतिनिधित्व
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कैडर समीक्षा समिति में संस्थान कैडर व स्टाफ साइड प्रतिनिधि शामिल हों।
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कैडर समीक्षा समिति (सितंबर 2025) पर चिंता
हाल ही में गठित समिति में:
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कोई भी स्टाफ साइड सदस्य नहीं है।
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संस्थान कैडर से कोई प्रतिनिधि नहीं है।
ऐसे में आशंका है कि वास्तविक समस्याओं पर समिति का ध्यान नहीं जाएगा और उद्देश्य अधूरा रह जाएगा।
क्यों यह मुद्दा अब और नहीं टल सकता
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कर्मचारियों का मनोबल और कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है।
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प्रशासनिक तंत्र का रीढ़ कमजोर हो रहा है।
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अन्य सरकारी संगठनों की तुलना में ICAR बहुत पीछे है।
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न्याय में देरी, न्याय से वंचित करने के समान है।
निष्कर्ष और आह्वान
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1997 के कैबिनेट निर्णय को लागू किया जाए।
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पदोन्नति मार्ग को न्यायपूर्ण और संतुलित बनाया जाए।
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NFU और मध्यवर्ती पदों का सृजन किया जाए।
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कैडर समीक्षा समिति में कर्मचारियों की आवाज़ शामिल की जाए।
यह केवल कर्मचारियों का ही प्रश्न नहीं है, बल्कि ICAR की कार्यकुशलता और भविष्य का प्रश्न है।