Sunday, November 12, 2023

समा चकेवा पर्व: भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक

 समा चकेवा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह पर्व समृद्धि, खुशहाली और शांति की कामना करता है। इस दिन, लोग स्नान, पूजा-अर्चना और दान-पुण्य करते हैं।

समा चकेवा का इतिहास बहुत पुराना है। कहा जाता है कि यह पर्व भगवान विष्णु के अवतार भगवान राम के जन्म के अवसर पर मनाया जाता है। भगवान राम के जन्म के बाद, उनकी मां कौशल्या ने उन्हें स्नान कराया और फिर उन्हें पूजा-अर्चना के बाद दान-पुण्य दिया। इसी दिन से, समा चकेवा पर्व मनाया जाने लगा।

समा चकेवा का आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। इस दिन, लोग स्नान करके अपने शरीर और मन को शुद्ध करते हैं। पूजा-अर्चना करके, वे भगवान से आशीर्वाद मांगते हैं। दान-पुण्य करके, वे दूसरों की मदद करते हैं।

समा चकेवा का सामाजिक महत्व भी बहुत अधिक है। इस दिन, लोग एक-दूसरे के घर जाकर मिलते हैं और उन्हें बधाई देते हैं। इस तरह, यह पर्व लोगों के बीच प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देता है।

समा चकेवा की परंपराएं

समा चकेवा के दिन, लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं। फिर, वे मंदिर जाकर भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। पूजा के बाद, वे दान-पुण्य करते हैं। इस दिन, लोग नए कपड़े पहनते हैं और मिठाई खाते हैं।

समा चकेवा के दिन, लोग एक-दूसरे को "समा चकेवा" कहते हैं। इसका अर्थ है "आपको समृद्धि, खुशहाली और शांति मिले।"

समा चकेवा 2023

समा चकेवा 2023 कार्तिक पूर्णिमा के दिन, यानी 25 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन, सूर्योदय का समय सुबह 6:15 बजे होगा और सूर्यास्त का समय शाम 5:34 बजे होगा।

समा चकेवा का भाई-बहन के प्रेम से संबंध

समा चकेवा पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस दिन, बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं और उन्हें उपहार देती हैं। भाई भी अपनी बहनों को आशीर्वाद देते हैं और उन्हें भला-बुरा करते हैं।

समा चकेवा पर्व की कहानी भी भाई-बहन के प्रेम को दर्शाती है। कहा जाता है कि एक समय की बात है, एक बहन थी जिसका नाम श्यामा था। उसकी एक भाई था जिसका नाम साम्ब था। दोनों में बहुत प्रेम था। एक दिन, श्यामा का विवाह चारुदत्त नामक एक ऋषि से हो गया। श्यामा प्रकृति प्रेमी थी और वह पक्षियों के साथ खेलती थी। एक दिन, श्री कृष्ण के मंत्री चुरक ने श्री कृष्ण के कान भर दिए कि श्यामा पक्षियों के साथ खेलती है और वह ऋषि चारुदत्त को छोड़कर भाग जाएगी। श्री कृष्ण क्रुद्ध होकर श्यामा को पक्षी बना दिया। चारुदत्त ने भी शिवजी को प्रसन्न कर पक्षी का रूप ले लिया। दोनों पक्षी जंगल में रहने लगे।

श्यामा के भाई साम्ब को जब इस बारे में पता चला, तो वह श्री कृष्ण के पास पहुंचा और श्यामा को वापस पाने के लिए प्रार्थना की। श्री कृष्ण ने साम्ब को कहा कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्यामा वापस आ जाएगी।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन, श्यामा और चारुदत्त वापस मनुष्य का रूप ले लिया। दोनों भाई-बहन फिर से मिल गए और बहुत खुश हुए।

समा चकेवा पर्व इसी कहानी को याद दिलाता है। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम और स्नेह को बढ़ावा देता है

समा चकेवा पर्व एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है जो लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता  है।

Friday, November 3, 2023

महात्मा गांधी: भगवान का आधुनिक अवतार

 

महात्मा गांधी भारत के राष्ट्रपिता और स्वतंत्रता सेनानी थे। वे अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों के प्रणेता थे। गांधीजी ने भारत को अंग्रेजों से मुक्ति दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कुछ लोग गांधीजी को भगवान का अवतार मानते हैं। उनकी इस मान्यता के पीछे कई कारण हैं।

  • आचरण और व्यवहार: गांधीजी का आचरण और व्यवहार बहुत ही उच्च था। वे हमेशा सत्य, अहिंसा और नैतिकता का पालन करते थे। वे अपने अनुयायियों को भी ऐसा ही करने की सीख देते थे।
  • लोगों के प्रति सोच: गांधीजी सभी लोगों को समान मानते थे। वे किसी के प्रति भेदभाव नहीं करते थे। वे हर किसी के साथ प्रेम और आदर से पेश आते थे।
  • अद्भुत शक्तियां: गांधीजी के पास कुछ अद्भुत शक्तियां भी थीं। उदाहरण के लिए, वे लोगों को अपने विचारों और सिद्धांतों से प्रभावित कर सकते थे। वे लोगों को अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर सकते थे।

गांधीजी के इन गुणों के कारण ही कुछ लोग उन्हें भगवान का अवतार मानते हैं।

यहाँ कुछ उदाहरण दिए गए हैं कि कैसे गांधीजी भगवान के अवतार थे:

  • गांधीजी ने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों का पालन किया। ये सिद्धांत ईश्वरीय प्रेम और नैतिकता पर आधारित हैं।
  • गांधीजी ने हमेशा सत्य का पालन किया। उन्होंने कभी झूठ नहीं बोला और हमेशा दूसरों को भी सत्य का पालन करने की सीख दी।
  • गांधीजी ने अहिंसा के सिद्धांत के माध्यम से भारत को अंग्रेजों से स्वतंत्र कराया। उन्होंने दिखाया कि अहिंसा के माध्यम से भी बड़े-बड़े साम्राज्यों को हराया जा सकता है।
  • गांधीजी ने सभी लोगों को समान माना। उन्होंने किसी के प्रति भेदभाव नहीं किया। वे हर किसी के साथ प्रेम और आदर से पेश आते थे।
  • गांधीजी के पास कुछ अद्भुत शक्तियां थीं। उदाहरण के लिए, वे लोगों को अपने विचारों और सिद्धांतों से प्रभावित कर सकते थे। वे लोगों को अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर सकते थे।

गांधीजी के इन उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि वे भगवान के अवतार थे। उन्होंने अपने जीवन के माध्यम से अहिंसा, सत्य और नैतिकता के सिद्धांतों का प्रसार किया। उन्होंने सभी लोगों को समान माना और उनसे प्रेम और आदर से पेश आए। गांधीजी की शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और हम सभी को उनका अनुसरण करना चाहिए।

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